10+ गुरु पर हिन्दी कविताएँ (Guru Poem in Hindi)
गुरू ही व्यक्ति को इन्सान का रूप देता है। गुरू ही ज्ञान का पर्याय है। एक सच्चा गुरू ही अपने शिष्यों को इस संसार से परिचित करवाता है।
आज हम यहां पर कुछ गुरु पर हिन्दी कविताएँ (Guru Poem in Hindi) शेयर की है जो गुरू की महिमा का बखान करती हैं।
हमारे इस ब्लॉग पर और भी बेहतरीन हिंदी कविताएं उपलब्ध है, आप उन्हें जरूर पढ़े: <यहां पढ़ें>
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Hindi Poem on Guru
जन्म माँ-बाप से मिला
ज्ञान गुरु से दिला दिया
ड्रेस, किताबे, बस्ता,
माँ-बाप से मिला
पढ़ना गुरु ने सीखा दिया
माँ ने जीवन का पहला पाठ पढ़ाया
दूसरा तीसरा चौथा गुरु ने पढ़ा दिया”
“जब हम छोटे होते हैं “टीचर बच्चे” खेलते हैं
जब थोड़े बड़े हुए, सीधे-उलटे काम भी करते हैं
एक दिन हम जवान होकर,आएंगे काम देश के
ऐसा गुरु जी हमसे हरदम कहते रहते हैं”
“गुरु ने हमको अपने ज्ञान से सींचा हैं
हमने उनसे ही जीवन का सार सीखा हैं
समझा देंगे हमें वो दुनिया दारी
उनकी इसी बात पर किया सदा भरोसा हैं”
Guru Par Kavita
माँ पहली गुरु है और सभी बड़े बुजुर्गों ने
कितना कुछ हमे सिखाया हैं
गुरु पूजनीय हैं
बढ़कर है गोविंद से
कबीर जी ने भी हमे सिखाया हैं
पशु पक्षी फूल काटे नदियाँ
हर कोई हमे सिखा रहा हैं
भारतीय संस्कृति का कण कण
युगों युगों से गुरु पूर्णिमा की
महिमा गा रहा हैं…
Guru Par Kavita Hindi Mein
परम गुरु
दो तो ऐसी विनम्रता दो
कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
और यह अंतहीन सहानुभूति
पाखंड न लगे……….
दो तो ऐसा कलेजा दो
कि अपमान, महत्वाकांक्षा और भूख
की गाँठों में मरोड़े हुए
उन लोगों का माथा सहला सकूँ
और इसका डर न लगे
कि कोई हाथ ही काट खाएगा……….
दो तो ऐसी निरीहता दो
कि इसे दहाड़ते आतंक क बीच
फटकार कर सच बोल सकूँ
और इसकी चिन्ता न हो
कि इसे बहुमुखी युद्ध में
मेरे सच का इस्तेमाल
कौन अपने पक्ष में करेगा……….
यह भी न दो
तो इतना ही दो
कि बिना मरे चुप रह सकूँ……….
-विजयदेव नारायण साही
एक गुरु के शिष्य
शिष्य एक गुरु के हैं हम सब,
एक पाठ पढ़ने वाले।
एक फ़ौज के वीर सिपाही,
एक साथ बढ़ने वाले।
धनी निर्धनी ऊँच नीच का,
हममे कोई भेद नहीं।
एक साथ हम सदा रहे,
तो हो सकता कुछ खेद नहीं।
हर सहपाठी के दुःख को,
हम अपना ही दुःख जानेंगे।
हर सहपाठी को अपने से,
सदा अधिक प्रिय मानेंगे।
अगर एक पर पड़ी मुसीबत,
दे देंगे सब मिल कर जान।
सदा एक स्वर से सब भाई,
गायेंगे स्वदेश का गान।
- श्रीनाथ सिंह